श्री बिषापहर स्तोत्र मंडल विधान एवं गुरुबाणी मंथन शिविर। दिनांक 29-30 अप्रैल एवं 01-02 मई 2025 । अधिक जाननेकेलिए 'आयोजन' (Event ) पेज में क्लिक करे

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मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित सोनागिर पर्वतराज पर शिखर वद्ध अत्यंत मनोरम गगनचुम्बी 77 जिन मंदिर है, जिसमें 82 खड्‌गासन और 85 प‌द्मासन-इस प्रकार कुल 167 जिनबिम्ब विराजमान हैं पर्वत राज पर मन्दिर क्रमांक 57 में सम्वत् 1335 में प्रतिष्ठित भगवान चन्द्रप्रभ स्वामी की 11 फीट उतंग खड्‌गासन प्रतिमा जो कि, पर्वत के पाषाक पर ही उकेरी गई अति मनोज्ञ भाव वाही वीतरागी जिन प्रतिमा है जिसके समक्ष बैठकर ध्यान लगाने पर उठने का ही मन नहीं होता।

उसी के एक बाजु में भगवान शीतलनाथ जी एवं एक वाजु में श्री पार्श्वनाथ स्वामी की 88 फीट ऊँची पाषाढ़ की अति प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। तथा पर्वतराज पर ही मंदिर क्रमांक 57 के सामने चौक में वीच में श्री 1008 भगवान बाहुवली स्वामी एवं आजु वाजु श्री नंग कुमार श्री अनंग कुमार की प्रतिमा एवं जिनमंदिर है। तथा सामने विशाल मानस्तंभ श्री चौबीस तीर्थंकर के मंदिर एवं समवशरण मंदिर विशाल नंदीश्वर मंदिर है। तथा पर्वतराज पर ही वाजती शिला, नारियल कुण्ड, व अनेक क्षत्रियाँ एवं ध्यान की अनेक गुफाये निर्मित्त है सम्पूर्ण पर्वतराज की वन्दना 2 से 3 घण्टे में एवं पर्वतराज की परिक्रमा मात्र एक घन्टे में भाव सहित की जाती है।

पर्वतराज की तलहटी में भी विशाल शिखर वद्ध 31 जिनमंदिर है इस प्रकार कुल 108 जिनालय है तलहटी में ही यात्रियों की सुविधार्थ सर्व सुविधा युक्त अनेक छोटी-बड़ी धर्मशालाएँ वनी हुई है। श्री परमागम मंदिर (नं.-21) सिद्धक्षेत्र सोनागिर की तलहटी में स्थित मंदिर क्रमांक 21, श्री नंग-अनंग दिगम्बर जैन परमागम मंदिर में मूलनायक श्री 1008 चन्द्रप्रभ भगवान की साढ़े पाँच फीट उत्तमा पदमासन की प्रतिमा विराजमान है साथ में श्री आदिनाथ भगवान की धातु श्री प्रतिमा विराजमान है जहाँ प्रतिदिन श्री जिनेन्द्र भगवंतों के दर्शन, पूजन के साथ-साथ वीतरागवाणी का लाभ स्वाध्याय के माध्यम से सभी जीवों को प्राप्त होता है। चारों तरफ परमागम मंदिर की दीवालो पर उकेरे गए श्री पंच परमागम, श्री तत्त्वार्थसूत्र, श्री रत्नकरण्ड श्रावक श्री भक्तामर आदि लिपिवद्ध है तथा चारों तरफ काँच की अमूतपूर्व कलाकारी है इसीलिए इसे काँच मंदिर भी हमें है

आत्माराधना एवं जिनशासन की मंगलमय प्रभावना युगों-युगों तक होती रहे इस पवित्र भावना के फलाचरूप वाणीभूषण पं. ज्ञानचन्दजी विदिशा की मंगलप्रेरणा एबं पूनम चाँद जी सेठी एबं सेठी परिवार, नई दिल्ली में शुभमुर्हत में श्री परमागम मंदिर का शिलान्यास हुआ और शीघ्र ही विशाल भव्य जिनमंदिर का निर्माण होकर फरवरी 1995 में ऐतिहासिक श्री आदिनाथ पंचकल्याणक महोत्सव फाल्गुन शुक्ल सप्तमी श्री चन्द्रप्रभ स्वामी के निर्वाण कल्याण के पवित्र दिन ही श्री 1008 चन्दप्रभ स्वामी की अतिशय युक्त अत्यन्त विशाल एवं मनोज्ञ प्रतिमा श्री परमागम मंदिरजी में विराजमान हुई उस दिन से लेकर आप तक सहम्त्रों मण्डल विधान, आध्यात्मिक शिविर, आध्यात्मिक तत्त्व संगोष्ठी आदि के माध्यम से जिनशासन की मंगलमय प्रभावना होती आ रही है श्री परमागम मंदिर में बाहर से विशाल शिखर वद्ध व आकर्षक गुम्मचों सहित सुन्दर कलाकृति से उकीर्ण क्रीम कलर के पाषाण से सुजज्जित और अन्दर में आचार्य कुन्दकुन्द देव विरचित परमागम ग्रन्थों सहित चारों अनुयोग के ग्रन्थों की गाथाएँ धबल पाषाण पर उत्कीर्ण है। वही प्रथमानुयोग में वर्णित प्रराण पुरुषों की हुई है। इसी के साथ जिनधर्म से सम्बन्धित चिन्तावली व जिन वचन अत्यन्त सुन्दर काँच के कार्य से पूरा परमागम मंदिर जगमग जगमग हो रहा है।

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श्री परमागम मंदिर जी में प्रतिदिन सैकड़ों साधर्मीजन जिनदर्शन पूजन करते आते है और प्रतिदिन प्रातःकाल विद्वानों द्वारा शास्त्र-स्वाध्याय का लाभ लेते है, शाम को जिनेन्द्रभक्ति होती है तथा समय-समय पर भक्ति संगीत के साथ मण्डल विधान आध्यात्मिक शिविर में अनेक विशिष्ट विद्वानों के प्रवचन में विशेष मंगलमय प्रभावना होती है।

श्री कुन्दकुन्द-कहान नगर एक वृहद् आध्यात्मिक सङ्कुल सिद्धक्षेत्र सोनागिरजी के स्वर्णिमा इतिहास में एक स्वार्णम अध्याय तक जुड़ गया जब तीन लाख स्क्वायर फीट की विशाल भूमि पर पूज्य गुरुदेवश्री कानजी स्वामी के पुण्य प्रभावना भोग से श्री परमागम श्रावक ट्रस्ट, सोनागिर के अन्तर्गत श्री कुन्दकुन्द-कहान नगर में विशाल आध्यात्मिक सङ्कुल की मनोरम रचना हुई।

सहयोग हेतु 'श्री परमागम श्रावक ट्रस्ट सोनागिर' के बचत खातों के नम्बरों में किसी एक में जमा कर, सूचित करें।

सेन्ट्रल बैंक (दतिया) 3048944249 (CBIN0281424)
स्टेट बैंक (दतिया) 30184904478 (SBIN 0000358)
यूको बैंक (सौनागिर) 11680100002307 (UCBA 1168)